नेता जी सुवाषचन्द्र बोस|netaji subhash chandra bose jivani
netaji subhash chandra bose : –
netaji subhash chandra bose : आज हम बात करेंगे एक ऐसे क्रांतिकरी के बारे में जिन्होंने भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई नेता जी एक ऐसे क्रन्तिकारी नेता थे जिनका नाम सुनकर ब्रिटिश शासन को पसीना आ जाता थाl

नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक उड़ीसा में हुआ था इसने माता का नाम प्रभावती देवी और पिता जानकीनाथ थाl इनके पत्नी का नाम एमिली स्चेंक्ल था| इनकी बेटी का नाम अनीता बोस था| netaji subhash chandra bose की मृत्यु 1845 जापान में हुआ थाl
netaji subhash chandra bose का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था| नेता जी के 7 भाई और 6 बहने थी सुभास अपने पिता के 9 वें संतान थे ऐसा मन जाता है की वे अपने एक बड़े भाई के बहुत प्यारे थे दोनों एक दुसरे का काफी ख्याल रखते थे इनका जन्म एक माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ थाl netaji subhash chandra bose के पिता कटक के मशहुर वकील थे इसीलिए उनको रायबहादुर भी कहा जाता थाl
netaji subhash chandra bose बचपन से ही बहुत मेहनती थे और पड़ने में भी काफी तेज होने के कारन टीचर भी उनको बहुत प्यार करते थेl
उनकी प्राथमिक शिक्षा कटक में ही हुई उसके बाद वह पड़ने के लिए कोलकोता चले गए जहाँ की उन्होंने स्नातक की डगरी ग्रहण की नेता जी जिस कॉलेज में पढते थे उस कॉलेज के एक इंगलिश प्रोफेसर भारतीयों को काफी प्रताड़ित करते थे जो की नेता जी को काफी बुरा लगता थाl
इस बात का नेता जी विरोध भी करते थे उसी समय जातिवाद का मुद्दा को बढावा दिया गया था उसी समय नेता जी के मन में अंग्रेजो के खिलाफ जंग शुरू हुआ नेता जी को सिविल सर्विस काफी पसंद था और वो सिविल सर्विस ही करना चाहते थे अंग्रेजी शासन के चलते उस समय भारतियों को सिविल सर्वी में जाना काफी मुस्किल थाl
तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस के तैयारी के लिए इंगलैंड भेज दिया इस परीक्षा में नेता जी ने 4था स्थान प्राप्त किया उस समय उन्होंने सबसे ज्यादा नंबर अंग्रेजी विषय में ही प्राप्त किये थे|
netaji subhash chandra bose विवेकानन्द को अपना गुरु मानते थे और उनके ही कहे हुए बातो पर बहुत हद तक चलने का प्रयाश भी करते थे देश के लिए उनके मन में बहुत प्रेम था वो देश की आजादी को लेकर बहुत चिंतित थे इसी लिए उन्होंने 1921 में उन्होंने सिविल सर्विस को छोड़ दियाl

नेता जी का राजनैतिक जीवन:-
भारत लौटते ही स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिए और उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया उस समय वे कलकाता में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे चितरंजन दास के नेत्रित्व में शुरू में उन्होंने काम किया चितरंजन दास को ही वो अपना राजनैतिक गुरु भी मानते थेl
1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरु को छोड़ अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना ली थी चितरंजन दास अपनी पार्टी के सत्यह मिलकर रणनीति बनाने लगे तो नेता जी कोल्कता के युवा छात्र और किसानो के भीच अपनी अच्छी पैठ बना ली थी उनके काम की चर्चा चारो तरफ तेजी से फैलने लगी और वे एक युवा नेता के तौर पर उभरने लगेl
कांग्रेस के एक मीटिंग के दौरान पुराने और नए युवा नेताओ के बच मतभेद पैदा हो गया नेता जी गाँधी जी की अहिंसा वाली विचारधारा से विल्कुल भी खुश नहीं थे उनकी सोच नौजवान वाली थी जो की हिंसा में भी विस्वास रखते थे 1939 में नेता जी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के लिए खड़े हुए|
उनके खिलाफ गाँधी जी ने सीतारामैया को खड़ा किया जिसे नेता जी ने हरा दिया इस हार को गाँधी जी अपना हार मानने लगे |
और वो बहुत दुखी हुए इसी लिए नेता जी ने अपने पद्द से स्थिपा दे दिया था| विचारो का मेल न होने की वजह से नेता जी लोगो के नजरों में गाँधी विरोधी होते जा रहे थे इसी लिए नेता जी ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दियाl
1939 में विश्व युद्ध चल रहा था नेता जी सबकुछ छोडकर पुरे विश्व से मदद लेना चाहते | थे ताकि अंग्रेज दबाव पाकर भारत को छोड़कर चले जाए इसी लिए ब्रिटश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया जेल में वे एक हप्ते तक कुछ भी खाया पिया नहीं जिससे की उनकी हालत बिगड़ने लगी बिगड़ते हालत को देखकर युवावों में आक्रोश बढ़ा और वे नेता जी के रिहाई का मांग करने लगे|
युवावों के आक्रोश को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने उनको कोलकाता में नजरबनद कर दिया इस दौरान netaji subhash chandra bose 1941 में अपनी भतीजी के मदद से वहाँ से भाग निकले और बिहार चले आए|
उसके बाद वो मौजूदा समय के (पाकिस्तान पेशावर चले गए) इसके बाद वे सोवियत सघ होते हुए वे जर्मनी पहुच गएl वहन वे जर्मनी के शासक हिटलर से मिले नेता जी बहुत सारे देशों का भ्रमण कर चुके थे उनको बहुत सारें देशो का अनुभव भी थाl
उस समय अंग्रेजो का दुश्मन था हिटलर इसीलिए नेता जी ने उसे अपना दोस्त बनाया इसी दौरान उन्होंने आस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली|
1943 नेता जी ने जर्मनी छोड़ जापान चले गए वहा जाकर वह मोहन सिंह से मिले जो की उस समय आजाद हिद फ़ौज के मुखिया थे |
नेता जी ने मोहन सिंह और रासबिहारी बोस के साथ मिलकर आजाद हिन्द फ़ौज पार्टी बनाया 1944 अपनी पार्टी को एक नारा दिया “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” जो की पुरे देश में काफी पापुलर हुआl
जिसके बाद netaji subhash chandra bose इंग्लैड गए और वहाँ के अधिकारीयों से मिले भारत को आजाद करने की मांग भी रखीl
नेता जी का मौत कैसे हुआ:-
1945 में जापान जाते समय ताईवान में उनका विमान क्रैश हो गया था लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली फिर कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गयाl
कुछ राजनीतिज्ञों का ये भी मानना है की नेहरू ने ये अंग्रेजो के साथ मिलकर यह योजना बनायीं थी की netaji subhash chandra bose को चुपके से अंग्रेजो को दे दिया जायेगा|
और इस बात की भनक नेता जी को लग गई थी|इसीलिए ओ कही गायब हो गय उसके बाद भी नेता जी के परिवार की जशुसी करने का भी आरोप लगता आ रहा है कांग्रेस पार्टी और नेहरू परिवार परl
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